राजस्थान की प्रमुख सिंचाई व नदी घाटी परियोजनाएं- राजस्थान भारत का एक अर्ध शुष्क राज्य है, इसीलिए वर्तमान राजस्थान में 100 से अधिक जल परियोजनाएं संचालित हैं। तो आज हम आपको राजस्थान की प्रमुख जल परियोजनाओं के बारे में विस्तार से बताएंगे, राजस्थान की प्रमुख सिंचाई व नदी घाटी परियोजनाएं –
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राजस्थान की प्रमुख सिंचाई व नदी घाटी परियोजनाएं कौन-कौनसी हैं?

भरतपुर नहर परियोजना
पेयजल व्यवस्था के लिए सन 1906 में तत्कालीन भरतपुर राजा ने अपने प्रयासों से भरतपुर नहर परियोजना का निर्माण कराया। सन् 1964 में इसका कार्य पूर्ण हुआ। भरतपुर नहर परियोजना यमुना से निकलने वाली आगरा नहर के सहारे 11 किलोमीटर के पत्थर से निकाला गया है।
इस नहर की कुल लंबाई 28 किलोमीटर है, जैसलमेर से भरतपुर में जल की आपूर्ति होती हैं।
सिद्धमुख नोहर परियोजना
इस नहर परियोजना को राजीव गांधी ने सन 1919 को भिरानी नामक गांव में शुभारंभ किया था। इस परियोजना से जल लेने के लिए 275 किलोमीटर लंबी एक नहर निकाली गई। इस परियोजना से लगभग 35 गांवों को पानी मिलता है।
यह परियोजना व्यास नदी और रावी नदी के जल का उपयोग करने हेतु बनाई गई है। इस परियोजना के लिए 2753 करोड रुपए खर्च हुए हैं।
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गंगनहर परियोजना
भारत की प्रथम नहर सिंचाई परियोजना राजस्थान में गंग नहर परियोजना है। राजस्थान के पश्चिमी भागों में बहुत कम वर्षा होने के कारण तत्कालीन बीकानेर के महाराजा श्री गंगा सिंह ने गंग नहर का निर्माण करवाया था। महाराजा गंगा सिंह द्वारा 5 सितंबर 1921 को गंग नहर की आधारशिला रखी गई थी।
गंग नहर का उद्गम स्थल स्तन सतलज नदी से फिरोजपुर के निकट हुसैनीवाला को माना जाता है। गंग नहर की कुल लंबाई 292 किलोमीटर है।
भाखडा़ नांगल परियोजना
भाखड़ा नांगल बांध परियोजना भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। इसकी जलभराव की क्षमता एक करोड़ क्यूबिक मीटर है। भाखड़ा नांगल बांध परियोजना की लंबाई 96 किलोमीटर है। भाखड़ा नांगल परियोजना पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
इसमें राजस्थान का 15.2 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि हिमाचल प्रदेश केवल जलविद्युत के उत्पादन में ही उपयोग करता है। इस बांध का निर्माण 1946 में शुरू होकर 1962 में संपूर्ण हुआ। भाखड़ा नांगल बांध परियोजना भारत का सबसे ऊंचा बांध है।
जवाई बाँध परियोजना
जवाई बांध परियोजना को मारवाड़ का अमृत सरोवर भी कहा जाता है। सन 1946 में जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह ने पाली के सुमेरपुर के पास स्टेशन से लगभग 2:30 किलोमीटर की दूरी पर जवाई बांध का निर्माण कराया था।
इस बांध को 13 मई 1946 को शुरू करवाया गया। सन् 1956 में जवाई बांध का संपूर्ण कार्य पूरा हुआ। यह बांध लूनी नदी की सहायक नदि जवाई नदी पर पाली के सुमेरपुर में बना हुआ है।
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जवाई बांध को उदयपुर के कोटडा तहसील की निर्मित साही परियोजना से जोड़कर 9 अगस्त 1977 को सही परियोजना का पानी पहली बार जवाई बांध में डाला गया था। जवाई बांध का जीर्णोद्धार का कार्य सन 4 अप्रैल 2003 को शुरू किया गया था।
गुडगाँव नहर परियोजना
यमुना नदी के अतिरिक्त पानी को मानसून काल में उपयोग करने के उद्देश्य से हरियाणा व राजस्थान की संयुक्त नहर परियोजना बनाई गई, जिसे गुड़गांव नहर परियोजना कहते हैं। इस परियोजना का निर्माण 1966 में शुरू होकर 1985 में पूरा हुआ।
इस नहर की कुल लंबाई राजस्थान में 58 किलोमीटर लंबी है। भरतपुर व आसपास के सभी क्षेत्रों में जलापूर्ति होती है। वर्तमान समय में इसे ‘यमुना लिंक परियोजना’ भी कहते हैं।
चम्बल नदी घाटी परियोजना
चंबल नदी घाटी परियोजना की शुरुआत सर्वप्रथम 1943 में कोटा के निकट एक बांध बनाए जाने के रूप में की थी। नहर परियोजना का 50% हिस्सा राजस्थान का है, क्योंकि यह नहर परियोजना राजस्थान व मध्यप्रदेश राज्य के सहयोग से बनी थी।
इन्दिरा गांधी नहर जल परियोजना
इंदिरा गांधी नहर जल परियोजना को राजस्थान की जीवन रेखा व मरू गंगा भी कहते हैं। इस जल परियोजना का पहले नाम राजस्थान नहर था, जिसे 2 नवंबर 1984 को ‘इंदिरा गांधी नहर जल परियोजना’ कर दिया गया। इंदिरा गाँधी नहर जल परियोजना का मुख्यालय जयपुर में है। इस योजना की शुरुआत 1958 में हुई थी।
जल परियोजना से व्यास और रवि नदियों के जल को आवंटित करके उपयोग में लेने के उद्देश्य से शुरू की गई है।इंदिरा गांधी नहर परियोजना की कुल लंबाई 449 किलोमीटर है। इस परियोजना को तत्कालीन गृह मंत्री श्री गोविंद वल्लभ पंत ने 31 मार्च 1958 को शुभारंभ किया था। इस परियोजना से 11 अक्टूबर 1961 को व सिंचाई प्रारंभ कर दी गई थी।
व्यास एवं पोंग बाँध परियोजना
व्यास और रावी नदियों के जल का उपयोग करने के उद्देश्य से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान द्वारा मिलकर बहुउद्देशीय योजना की शुरुआत की गई। इस परियोजना को व्यास सतलज नहर के रूप में जोड़कर पोंग बांध के रूप में बनाकर तैयार किया।
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माही बजाज सागर परियोजना
माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान और गुजरात राज्य की संयुक्त परियोजना है। बरखेड़ा गांव के पास आदिवासी क्षेत्र से लगभग 20 किमी दूर माही बजाज सागर बांध का निर्माण कराया गया। इसमें राजस्थान सरकार का 45% व गुजरात सरकार का 55% हिस्सा है।
जाखम परियोजना
राज्य सरकार द्वारा जाखम नदी के पानी को उपयोग करने हेतु जाखम परियोजना को बनाने का काम शुरू किया, जो वर्ष 1999 में पूरा हुआ। यह परियोजना अनूप पूरा गांव में बनी हुई है, जो चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ मार्ग पर स्थित है। यह राजस्थान का सबसे ऊंचा ऊंचाई पर स्थित बांध है।
ओराई सिंचाई परियोजना
इस परियोजना को सन 1962 में शुरू किया था, जो 1967 मेशइसका कार्य पूरा हुआ। इस परियोजना को चित्तौड़गढ़ के 1 बांध बनाया गया है। बांध पर 20 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जल परियोजना की क्षमता लगभग 3816 लाख घन मीटर है।
इस जल नहर परियोजना की लंबाई लगभग 34 किलोमीटर है। इस परियोजना से भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिला में पानी की व्यवस्था होती है।
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बीसलपुर परियोजना
बिसलपुर परियोजना राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। इस परियोजना का शुभारंभ 1981 में हुआ था। यह परियोजना टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में स्थित है। इसके जल से टोंक, अजमेर, जयपुर के क्षेत्रों में जलापूर्ति होती है।
नर्मदा परियोजना
नर्मदा बांध परियोजना राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना में राजस्थान का हिसा 0.50% है। इस परियोजना से राजस्थान के क्षेत्रों को भी जल प्राप्त होता है।
इस परियोजना से वसुंधरा राजे ने सन 2008 में जल प्रवाहित किया था। यह राजस्थान की पहली ऐसी जल परियोजना है जिसके पानी से पूरी सिंचाई फव्वारा पद्धति से होती है।
पांचना परियोजना
करौली में पांच नदियों के संगम पर बने हुए इस बांध से लगभग 250 क्यूसेक जल संग्रहण किया जा सकता है
इस परियोजना का कार्य 2005 में पूर्ण हुआ था। आपको बता दें कि यह बांध बालू मिट्टी से बना हुआ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 25 मीटर है। साथ में यह भी बता दें कि यह बांध राजस्थान में मिट्टी से बना हुआ सबसे बड़ा बांध है।
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अंतिम शब्द
आज के इस आर्टिकल में राजस्थान की प्रमुख सिंचाई व नदी घाटी परियोजनाएं के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताई है। तो हम उम्मीद करते हैं कि आपको ” राजस्थान की प्रमुख सिंचाई व नदी घाटी परियोजनाएं ” यह जानकारी जरूर पसंद आएगी। इस जानकारी को सोशल मीडिया के जरिए शेयर जरूर करें।