राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य कौन कौनसे हैं?– भारतीय जीवन शैली में राजस्थान की अपनी एक अलग पहचान है, जो विश्व विख्यात है। राजस्थान में अनेक प्रकार की कलात्मक और सांस्कृतिक परंपराएं हैं।
जो देश और दुनिया को अपनी और आकर्षित करती हैं। राजस्थान की लोक कला, नृत्य कला, शिल्प कला, संगीत, रंगमंच और राजस्थान के लोक नाटक दुनिया भर में जाने जाते हैं।
यह भी पढ़े- राजस्थान के प्रमुख लोकनृत्य- Folk Dance of Rajasthan
राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य – Folk Theater in Rajasthan in Hindi
राजस्थान अपनी लोक संस्कृति, रंग-बिरंगे पहनावे, राजा महाराजाओं की मान-सम्मान, शान और शौकत, यहां के प्रसिद्ध लोकगीत और लोकनृत्य प्रचलित हैं। राजस्थान में महत्वपूर्ण लोकनाट्य में नौटंकी, भवाई, गवरी, फड़, रम्मत स्वांग, इत्यादि रंग मंच के कार्यक्रम राजस्थान में लोक स्तर पर किए जाते हैं।
इस आलेख में हम आपको राजस्थान के लोक नाट्य, Rajasthan ke lok natya, राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य, Rajasthan ke parmukh lok natya, राजस्थान में लोक नाट्य, राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नाट्य, राजस्थान में लोक नाट्य कौन-कौनसे हैं? इत्यादि विषय के बारे में विस्तार से बताएंगे – राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य।
राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य कौन-कौनसे हैं?

कठपुतली – Kathaputalee
कठपुतली लोकनाट्य का शुभारम्भ उदयपुर में हुआ था। वर्तमान समय में कठपुतली लोकनाट्य का प्रदर्शन संपूर्ण देश और दुनिया में होता है। कठपुतली राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक नाट्य है, जिसे संपूर्ण देश और दुनिया पसंद करती हैं।
इस लोकनाट्य में कपड़े की बनी कठपुतलियां से कहानी और कथा पर करवाया जाता है, जो देखने में अत्यंत आकर्षक लगता है।
रासलीला – Rasleela
तुलसीदास जी रासलीला लोकनाट्य के प्रवर्तक है। इस लोकनाट्य में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित अभिनय किया जाता है। इस लोकनाट्य को भरतपुर के अंतराष्ट्रीय लोक कलाकार शिव लाल कुमावत द्वारा आयोजित किया गया था, इसकी शुरुआत वल्लभाचार्य द्वारा की गई थी। जयपुर में रासलीला का प्रमुख केंद्र है।
यह भी पढ़े- राजस्थान के प्रमुख व प्रसिध्द लोकगीत – Rajasthani Folk Song (Rajasthani Lokgeet)
रामलीला – Ram Leela
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित रासलीला लोकनाट्य की तरह ही, भगवान श्रीराम से संबंधित कहानियों पर आधारित रामलीला लोकनाट्य आयोजित करवाया जाता है।
इस लोकनाट्य के प्रसिद्ध कलाकार हरगोविंद स्वामी रामसुखदास स्वामी है। इस लोकनाट्य का मुख्य केंद्र झुंझुनू है। रामलीला लोकनाट्य कार्यक्रम को छोटे बड़े बुजुर्ग सभी लोग बड़े चाव से देखने आते हैं।
ख्याल – Khayal
ख्याल लोकनाट्य को संपूर्ण राजस्थान में पुरानी कहानियां और ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर संगीतबध्द कार्यक्रम में अभिनय के तौर पर किया जाता है। यह एक प्रकार का खेल तमाशा होता है, जिसमें राजस्थान की संस्कृति और स्वरूप देखने को मिलता है।
शेखावाटी ख्याल – Shekhawati khayal
शेखावटी ख्याल को झुंझुनू जिले में आयोजित करवाया जाता है। इस लोकनाट्य के प्रवर्तक नानू राम जी चिवाड़ा थे। यह एक राजस्थान की लोकप्रिय विद्या है। लोकनाट्य में पुरुष रंग बिरंगी वस्त्र पहनकर खेल तमाशा दिखाते हैं।
यह भी पढ़े- राजस्थान के प्रमुख लोक वाद्य यंत्र Musical Instruments of Rajasthan In Hindi
कुचामनी ख्याल – Kuchamani Khayal
नागौर जिले के कुचामन सिटी में आयोजित होने वाले इस लोकनाट्य को कुचामनी ख्याल कहते हैं। नागौर के कुचामन में आयोजित होने वाले इस लोकनाट्य के प्रवर्तक लच्छीराम है। इस लोक नृत्य में पुरुष महिलाएं बनकर नाट्य करते हैं। तथा इस लोकनाट्य में राजस्थान के प्रमुख लोक देवताओं को भी प्राथमिकता मिलती हैं।
जयपुरी ख्याल – Jaipuri Khayal
जयपुर में आयोजित होने वाले इस लोकनाट्य को जयपुरी खयाल नाम से जाना जाता है। इस लोकनाट्य में स्त्रियों और पुरुषों द्वारा कन्हैया और गुजरिया जोगी और जोगनिया का रूप बनाकर आयोजित कराया जाता है। इस लोक नृत्य में स्त्रियां अत्यधिक अभिनय करती है।
किशनगढ़ी ख्याल – Kishangarhi Khayal
जयपुर और अजमेर के क्षेत्रों में यह लोकनाट्य अत्यंत प्रसिद्ध है। लोकनाट्य में लोक कलाकारों द्वारा विशेष प्रस्तुति दी जाती है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस लोकनाट्य का प्रवर्तक बंशीधर शर्मा है।
अली बख्शी ख्याल – Ali Bkashi khayal
इस लोकनाट्य ख्याल के प्रवर्तक अली बख्श को कहा जाता है। इस लोक नृत्य को अलवर में आयोजित करवाया जाता है। यहां पर लोकगीतों का भी आगमन होता है।
तुर्रा-कंलगी ख्याल – Turra Kalangi Khayal
इस लोकनाट्य में भगवान शिव और पार्वती की कहानी पर आधारित नाट्य रूपांतरण किया जाता है। इस नाट्य में हिंदू मुस्लिम की एकता देखने को मिलती हैं। लोकनाट्य में राजस्थान के लोकगीत सुनने को मिलते हैं। यह सर्वाधिक चित्तौड़गढ़ में प्रचलित हैं। इसे गम्मत भी कहते हैं।
ढप्पाली ख्याल – Dhappali khyal
अलवर और भरतपुर के क्षेत्रों में इस लोकनाट्य को अत्यधिक जाना जाता है। इस लोक नृत्य में डफ वाद्य यंत्र से लोक गीतों के साथ अभिनय किया जाता है।
हेला ख्याल – Hema Khayal
इस लोकनाट्य को मुख्य तौर पर राजस्थान के सवाई माधोपुर और डोसा जिलों में अत्यधिक जाना जाता है। इस लोकनाट्य के प्रवर्तक हेलो शायर थे। इस लोकनाट्य में नौबत लोक वाद्य यंत्र का भी प्रयोग किया जाता है।
नौटंकी – Nautanki Khayal
राजस्थान के भरतपुर जिले में यह लोकनाट्य अत्यंत प्रचलित है। इस लोकनाट्य में अलग-अलग तरह के वाद्य यंत्रों का उपयोग करके लोकगीतों के साथ अभिनय किया जाता है।इसके प्रमुख कलाकार गिरिराज प्रसाद थे। लोकनाट्य में महिलाएं और पुरुष दोनों ही अभिनय करते हैं ।
रम्मत – Rammat
इस लोकनाट्य को मुख्यतोर पर होली के अवसर पर आयोजित करवाया जाता है। यह लोकनाट्य जैसलमेर और बीकानेर क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। यह लोकनाट्य राजस्थान में लगभग 140 वर्ष पहले शुरू हुआ था।
यह भी पढ़े- राजस्थान के प्रमुख लोक देवता – Rajasthan Ke Lok Devta
इस लोकनाट्य को लोक कविता पर आयोजित करवाया जाता है, और इसमे प्रतियोगिता का भी महत्व दिया गया है।इस लोकनाट्य में होली पर गाए जाने वाले फागुन गीत पर अभिनय किया जाता है। ऐसा लोकनाट्य में राजस्थान की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
गवरी नाट्य
इस लोकनाट्य को मेवाड़ क्षेत्र के भील पुरुषों द्वारा अभिनय किया जाता है। इस लोकनाट्य को मेवाड़ में सिर्फ दिन के समय ही आयोजित कराया जाता है। लोकनाट्य में पुरुष रंग-बिरंगे वस्त्र धारण करके राजस्थान की पुरानी और प्राचीन कहानियां और कविताओं पर आधारित अभिनय करते हैं।
यह राजस्थान का सबसे प्राचीन लोक नृत्य है। इसमें लोकगीतों का भी स्वर्ग सुनने को मिलता है।
फड़ – Phad
इस लोकनाट्य में अभिनय कर्ता द्वारा लोक देवी-देवताओं का चित्रण किया जाता है। इस लोकनाट्य के अभिनय के दौरान रावण हत्था वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है। इस लोकनाट्य में कपड़े पर बने हुए लोक देवी देवताओं के चित्रण दिखाई देते हैं।
स्वांग -Swang
इस लोकनाट्य का प्रमुख कलाकार जानकीलाल परशुराम है। इस लोकनाट्य को मुख्य तौर पर भीलवाड़ा में आयोजित करवाया जाता है। इस कार्यक्रम में नाटक और नृत्य की प्रस्तुति के साथ लोग संगीत का भी स्वरा सुनने को मिलता है।
तमाशा –
इस लोकनाट्य के प्रमुख कलाकार बंसीधर है। जिन्हें जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने महाराष्ट्र से बुलवाया था। बता दें कि यह लोकनाट्य मुख्य रूप से महाराष्ट्र का है।
यह भी पढ़े- राजस्थान की लोक देवियाँ – Rajasthan ki Pramukh Lok Deviya
इस लोकनाट्य को महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने प्रसिद्ध लोक नृत्यांगना गौहर जान और बंशीधर भट्ट की देखरेख में शुरू करवाया था। ऐसा लोकनाट्य को राजस्थान की प्राचीन और धार्मिक कहानियों पर आधारित करवाया गया।
नौटंकी – Nautanki
राजस्थान के भरतपुर जिले में नौटंकी खेल अत्यंत लोकप्रिय हैं। यह लोकनाट्य एक प्रकार का खेल की तरह ही है। इसमें राजस्थान की लोकप्रिय और प्राचीन संस्कृति देखने को मिलती हैं। लोकनाट्य के प्रमुख कलाकार गिरिराज प्रसाद हैं। इस लोकनाट्य को महिला और पुरुष दोनों अभिनय करके सफल बनाते हैं।
चारबैंत लोकनाट्य –
चारबैंत लोकनाट्य को नवाबों की विद्या कहा जाता है। यह अफगानिस्तान का प्रमुख लोक नृत्य है। इस लोकनाट्य में लोक वाद्य यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है। लोकनाट्य को राजस्थान में आयोजित करवाने वाले कलाकार अब्दुल करीम वह खलीफा खान थे।
भवाई – Bhavai Natya
भवाई नाट्य का जनक बाधोजी जी जाट को माना जाता है। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के लोगों कलाकार थे। इस लोकनाट्य को गुजरात से लाया गया था। यह गुजरात का मुख्य लोकनाट्य है। ऐसा कार्यक्रम में कलाकार सिर पर अनेक सारी मटके रखा का नृत्य करते हैं, और नाटक दिखाते हैं।
यह भी पढ़े- राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले Rajasthan Ke Pramukh Mele
अंतिम शब्द
राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य – के बारे में पूरी जानकारी इस आर्टिकल में हमने आपको विस्तार से बताई है। तो हम उम्मीद करते हैं कि राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य कौन-कौनसे हैं? कि यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। “राजस्थान के प्रमुख लोक नाट्य” के इस आर्टिकल को अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।