राजस्थान के प्रमुख किले व दुर्ग – Major Forts of Rajasthan

राजस्थान के प्रमुख किले व दुर्ग – राजस्थान अपनी इतिहासिक संस्कृती, प्राचीन किले, दुर्ग, हवेलिया, महल और प्राचीन इमारतों के लिए विश्व भर में जाना जाता है | राजस्थान में स्थित प्राचीन इमारतों पर मौजूद अद्भुत कला दर्शाती है | हम इस लेख में हम राजस्थान के प्रमुख और प्रसिद्ध किले व दुर्ग के बारे में विस्तार से बताएंगे – राजस्थान के प्रमुख किले व दुर्ग !

राजस्थान के प्राचीन किलें व दुर्ग कौन-कौन से हैं?

चितौड दुर्ग

चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजस्थान को गौरव कहा जाता है इस किले को “चित्रकूट दुर्ग” व प्राचीन किलों का “सिरमौर” भी कहा जाता है | चित्तौड़गढ़ दुर्ग में कुंभा महल, फतह प्रकाश महल, विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ, पद्मिनी महल, कुंभ स्वामी मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर और जयमल पत्ता की छतरी, इत्यादि दर्शनिक स्थल मौजूद है |

चित्तौड़गढ़ किले पर कितनें व कौन-कौन से युद्ध हुए थे?

पहला – 1303 ईस्वी में राणा रतन सिंह व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य |

दूसरा – 1534 ईस्वी में विक्रमादित्य ववबहादुर शाह जफर के मध्य |

तीसरा – 1567 ईस्वी में राणा उदय सिंह व अकबर के मध्य |

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कुम्भलगढ़ दुर्ग

राजसमंद में स्थित कुंभलगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था | राजसमंद की पहाड़ियों पर बना हुआ यह दुर्गा अत्यंत विशाल और मजबूत है | इस दुर्ग की 36 किलोमीटर लंबी दीवार विश्व की दूसरी सबसे लंबी व विश्व की प्रथम सबसे चौड़ी लंबी दीवार है |

कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवार पर 10 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं | कुंभलगढ़ दुर्ग के अंदर कटार गढ़ दुर्ग बना हुआ है | इस महान दुर्ग के अंदर ही वीर योद्धा शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था | राणा उदय का पालन पोषण और राज्याभिषेक भी इसी दुर्ग में हुआ |

कर्नल टॉड ने इस दुर्ग को “एटरुक्सन” कहा था, अबुल फजल ने कुंभलगढ़ दुर्ग के बारे में लिखा है कि “यह दुर्ग इतना बुलंदी पर बना है कि नीचे से ऊपर की तरफ देखने पर सर से पगड़ी गिर जाती है” |

मेहरानगढ़ दुर्ग

मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण राव जोधा ने 1459 ईस्वी में जोधपुर की चिड़ियाटुंक पहाड़ियों पर करवाया था |
जोधपुर में स्थित इस मेहरानगढ़ किले को “गढ चिंतामणि” या “मयूरध्वज” के नाम से भी जाना जाता है |
इस किले में जयपोल, फतेहपोल और लोहापोल आदि प्रवेश द्वार है | मेहरानगढ़ दुर्ग में चामुंडा माता का प्रसिद्ध मंदिर है |

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सोनारगढ़ दुर्ग

जैसलमेर की त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित सोनारगढ़ दुर्ग का निर्माण राव जैसल ने सन 1155 ईस्वी में करवाया था | इस किले में काली माता मंदिर, सतियो के पगलिये, भंडारपरकोटा, जिनभद्र सूरी ग्रन्थ इत्यादि मौजूद है |

सोनारगढ़ किलें पर कब व कितने युद्ध हुए थे?

१. राजा मूलराज व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य 1292 ई० में भीषण युद्ध हुआ |

२. राजा रावल दुदा व फिरोज तुगलक के मध्य 1370 ई० में युद्ध हुआ |

३. राजा राव लूणकरण वह आमिर अली के मध्य सन 1550 ईस्वी में अर्ध शाका युद्ध हुआ |

आमेर दुर्ग

आमेर किला जयपुर में स्थित है | आमेर के दुर्ग का निर्माण दुल्हराय कच्छवाहा ने करवाया था | जयपुर में स्थित आमेर दुर्ग का निर्माण 1150 ईस्वी में करवाया गया था | इस किले में शीश महल, जगत शिरोमणि मंदिर और शीतला देवी मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है |

सुवर्ण गिरी दुर्ग

स्वर्ण गिरी दुर्ग का निर्माण प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम ने जालौर जिले में कराया था | इस किले का पुनर्निर्माण परमार शासकों ने करवाया था | जालौर जिले में स्थित स्वर्ण गिरी किला “सोनगढ़” नाम से भी प्रसिद्ध है |

इस किले में वीरम चौकी, शिव मंदिर, मानसिंह के महल इत्यादि दार्शनिक स्थल मौजूद है | कान्हड़ देव सोनगरा के शासनकाल में 1311 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर आक्रमण किया था |

भेंसरोडगढ़

चित्तौड़गढ़ में मौजूद भैंसरोडगढ़ किले का निर्माण रोड़ा चारण व भैसाशाह ने करवाया था | यह किला बामणी नदी व चंबल नदी के संगम पर बना हुआ है |

जयगढ़ दुर्ग

जयपुर में स्थित जयगढ़ दुर्ग का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था | इस किले में खजाना ढूंढने के लिए इंदिरा गांधी ने इस किले को खुदवाया था | इस किले में एशिया की सबसे बड़ी तोप “जयबाण तोप” मौजूद है | इसके अलावा तोप ढालने का कारखाना, सात मंजिला स्तंभ , दीया बुर्ज़ इत्यादि दार्शनिक स्थल इस किले में मौजूद है |

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जूनागढ़ दुर्ग

जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण राजा राय सिंह ने करवाया था | यह दुर्ग राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है | इस किले में जयमल- पत्ता की गजारूढ मूर्तियां रखी हुई है |

रणथम्भोर दुर्ग

रणथम्भोर दुर्ग की स्थापना राजा रणथम्मण देव ने करवाई थी | रणथम्भोर गढ़ दुर्ग सात अलग-अलग पर्वत श्रंखला से गिरा हुआ है | इसलिए यह दुर्ग पास जाने पर ही दिखाई देता है | इस दुर्ग में त्रिनेत्र गणेश जी का प्रसिद्ध मेला लगता है |

लोहागढ़ दुर्ग

भरतपुर में स्थित लोहागढ़ दुर्ग को राजा सूरजमल ने 1733 ईस्वी में बनवाया था | लोहागढ़ दुर्ग पर अंग्रेजों ने 5 बार आक्रमण किया, लेकिन वे कभी इसे जीत नहीं सकें | इसलिए इस किलें को “अजय दूर्ग” कभी कहा जाता है |
यह किला मिट्टी का बना हुआ है, लेकिन इस किले के दरवाजे अष्ट धातु से बने हुए हैं |

नाहरगढ़ दुर्ग

जयपुर में स्थित नाहरगढ़ दुर्ग का निर्माण राजा सवाई सिंह ने 1734 ईस्वी में करवाया था | नाहरगढ़ दुर्ग को “सुदार्शनगढ़” नाम से भी जाना जाता है | नाहरगढ़ दुर्ग को मराठाओ से सुरक्षा के लिए बनाया गया था | राजा सवाई माधव सिंह द्वितीय ने इस दुर्ग में नौ महल बनाए थे, जो उनके 9 पासवानों के लिए थे |

अचलगढ़ दुर्ग

माउंट आबू की पहाड़ियों पर स्थित अचलगढ़ दुर्ग का निर्माण परमार वंश के शासकों ने करवाया था | बाद में इस किले का पुनः निर्माण राणा कुंभा ने करवाया था | अचलगढ़ किले में गोमुख मंदिर, औखा रानी का महल, सावन- भादवा झील इत्यादि दर्शनिक स्थल है |

इस किले में भंवराधल है- जो गवाह है (महमूद बेगड़ा द्वारा मूर्तियां नष्ट करने पर मधुमक्खियों द्वारा आक्रमण किया गया था ) इस बात का |

भटनेर दुर्ग

भटनेर के दुर्ग को बीकानेर के राजा ने सन 1805 ईस्वी में जीतकर इसका नाम “हनुमानगढ़” रखा | हनुमानगढ़ किले को उत्तरी सीमा का प्रहरी भी कहा जाता है | तैमूर ने अपनी किताब में लिखा “मैंने इतना सुरक्षित व मजबूत किला पूरे हिंदुस्तान में नहीं देखा”|

मैगज़ीन दुर्ग

अजमेर में स्थित इस किले का निर्माण अकबर ने करवाया था | इस किले में मुगल स्थापत्य कला देखने को मिलते हैं | सर टॉमस रो ने जहांगीर से इसी किले में मुलाकात की थी |

गागरोण दुर्ग

झालावाड़ में स्थित गागरोन के दुर्ग को “जल दुर्ग” भी कहते हैं | क्योंकि यह दुर्ग काली सिंध नदी के संगम पर बना हुआ है | इस दुर्ग का निर्माण डोडिया परमारो द्वारा करवाया गया था | यह दुर्ग “डोडगढ़ एवं धूलरगढ़” नाम से प्रचलित है |

तारागढ़ दुर्ग

तारागढ़ दुर्ग का निर्माण राजा अजय पाल चौहान ने करवाया था | इस दुर्ग का नाम राजा पृथ्वीराज सिसोदिया ने अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर रखा | दारा शिकोह ने इसी दुर्ग में आश्रय लिया था |

अंतिम शब्द

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