राजस्थान के प्रमुख लोक देवता – Rajasthan Ke Lok Devta

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता – प्राचीन समय में राजस्थान में ऐसे अनेक सारे वीर योद्धा हुए, जिन्होंने लोगों के कल्याण के लिए समाज को एक नई दिशा प्रदान की और गायों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

उन वीर योद्धाओं को आज राजस्थान में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है, तो आइए इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान के प्रमुख लोक देवता के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता- Rajasthan Ke Lok Devta

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता कौन-कौन से हैं?

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता- Major folk deities of Rajasthan
राजस्थान के प्रमुख लोक देवता- Major folk deities of Rajasthan

बाबा रामदेवजी

रामदेव जी महाराज को रामसापीर, रामदेव जी, बाबा या रामापीर नाम से संपूर्ण राजस्थान में जाना जाता है। बाबा रामदेव जी भारत के हिंदू लोक देवता है जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज के गरीब और दलित लोगों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था।

बाबा रामदेव जी महाराज चौथी शताब्दी में शासन करते थे, रामदेव जी महाराज को श्री कृष्ण भगवान का अवतार माना जाता है।

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राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता बाबा रामदेव जी महाराज का जन्म बाड़मेर जिले के शिव तहसील में 1352 ईस्वी को हुआ था, बाबा रामदेव जी महाराज को राजस्थान के अलावा गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पाकिस्तान के थार प्रदेश में लोग पूजते हैं। बाबा रामदेव जी महाराज ने सन 1385 ईस्वी में रुणिचा में समाधि ली थी।

बाबा रामदेव जी महाराज के गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और पाकिस्तान से लोग पैदल चलकर अपनी श्रद्धा से पूजन हेतु आते हैं। भादवा मास की शुरुआत से लोगों की पैदल यात्रा शुरू हो जाती है जो पूरे माह तक चलती है।

लोक देवता बाबा रामदेव जी का परिचय

बाबा रामदेव जी महाराज के पिता का नाम अजमल जी और माता का नाम मैणा दे व रामदेव जी की पत्नी का नाम नेतल दे और उनकी एक बहन जिनका नाम डाली बाई था। बाबा रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह पगलीया है।

रामदेव जी का प्रमुख स्थान जैसलमेर के पोकरण तहसील में रामदेवरा रुणिचा में है। बाबा रामदेव जी का मेला भादवा मास की शुक्ल दाद्शी से शुक्ल एकादशी तक लगातार रहता है। बाबा रामदेव जी महाराज ने अपनी चमत्कारी शक्तियों से गरीब वर्ग और दलित व पिछड़े लोगों का कल्याण किया था। इसीलिए वर्तमान समय में राजस्थान के दलित समाज के लोग सर्वाधिक बाबा रामदेव जी महाराज को पूछते हैं।

गोगाजी

राजस्थान के लोक देवता गोगा जी महाराज का जन्म चुरू जिले के ददरेवा गांव में सन 1003 में हुआ था। गोगाजी को राजस्थान के अलावा उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और गुजरात में पूजा जाता है।

गोगा जी महाराज चौहान राजपूत राजवंश के शासक थे, इनकी समाधि हनुमानगढ़ जिले के गोगामेडी गांव में स्थित है। राजस्थान में मुस्लिम समाज गोगा जी महाराज को जाहर पीर नाम से पुकारते हैं। गोगाजी महाराज को सांपों का देवता कहा जाता है।

राजस्थान के प्रत्येक छोटे बड़े गांव, शहर, कस्बे में गोगा जी महाराज का मंदिर बना हुआ है, और हर वर्ष हर क्षेत्र, गांव, नगर, कस्बे में मेला लगता है। गोगा जी महाराज का प्रतीक चिन्ह भाला है।

राजस्थान के लोकगीतों में भी गोगा जी महाराज को याद किया जाता है। गोगा जी महाराज के पिता का नाम जैवर जी और माता का नाम बाछल था। गोगा जी महाराज के गुरु का नाम गोरखनाथ और पत्नी का नाम कैमल दे था।

पाबूजी

राजस्थान के लोक देवता पाबूजी राठौड़ को राजस्थान गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में पूजा जाता है। पाबूजी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1296 ईस्वी में जोधपुर के कोलू मंड नामक गांव में हुआ था। पिता का नाम धनराज राठौड़ और माता का नाम कमला दे था।

राजस्थान के अनेक सारे लोकगीतों में पाबूजी महाराज को याद किया जाता है। पाबू जी महाराज ने गायों की रक्षा करने हेतु अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पाबूजी राठौड़ का मेला चैत्र मास की अमावस्या को जोधपुर के कोलू मंड गांव में भरता है।

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राजस्थान के प्रत्येक छोटे बड़े गांव कस्बे में पाबूजी राठौड़ के जङपले/मंदिर बने हुए हैं। पाबूजी महाराज पशुओं में होने वाली फ्लैग बीमारी का निवारण करते थे, इसीलिए रायका/रबारी जाति भी पाबूजी महाराज को अपना आराध्य देव मानकर पूजती है।

तेजाजी

तेजाजी महाराज राजस्थान के लोक देवता हैं जिन्हें भगवान महादेव के ग्यारहवें अवतार के रूप में पूजते हैं। लोक देवता वीर महाराज का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में हुआ था। वीरतेजाजी को राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश और गुजरात के लोग श्रद्धा से पूजते हैं।

तेजा जी महाराज की पत्नी का नाम पेमल था। तेजाजी महाराज का मेला नागौर के परबतसर गांव में भादवा मास की शुक्ल दशमी को भरता है।

तेजाजी का जन्म विक्रम संवत 1130 को हुआ था। लोक देवता तेजा जी महाराज को गायों के देवता के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि तेजाजी महाराज ने अपने जीवन काल में गायों की रक्षा करने हेतु अपना जीवन न्योछावर कर दिया था।

देवनारायण जी

राजस्थान के लोक देवता देवनारायण जी भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में पूजे जाते हैं, जिनका वास्तविक नाम उदय सिंह था। देवनारायण जी गुर्जर जाति के आराध्य देव है।

इनका जन्म भीलवाड़ा में हुआ था, इनके पिता का नाम सवाई भोज और माता का नाम सदु माता था। देवनारायण जी की पत्नी का नाम पीपल दे था। भादवा मास की शुक्ल सप्तमी को देवनारायण जी का मेला लगता है।

हडबू जी

मारवाड़ के पांच पीरों में से एक हड़बूजी भी शामिल है। हड़बूजी का जन्म नागौर जिला में सांखला राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता जी का नाम नेहा जी सांखला था। हड़बूजी महाराज को गायों की सेवा के लिए पूजा जाता है।

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क्योंकि हड़बूजी महाराज विकलांग गायों के लिए घास लाकर खिलाते थे। राजस्थान के लोक देवता बाबा हड़बूजी का प्रतीक चिन्ह ऊंट गाड़ी है, क्योंकि ऊंट गाड़ी पर ही हड़बूजी दूर-दूर से विकलांग गायों के लिए घास लेकर आते थे।

मल्ली नाथ जी

राजस्थान के लोक संत रावल मल्लिनाथ जी का जन्म बाड़मेर के तिलवाड़ा क्षेत्र में हुआ था, यह मारवाड़ के सिद्ध एवं अवतारी पुरुष माने जाते हैं। बाड़मेर के तिलवाड़ा गांव में लूनी नदी के किनारे पर मल्लिनाथ जी का मंदिर बना हुआ है। जहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

रावल मल्लिनाथ जी के पिता का नाम रावल तिडा जी और माता का नाम जाणी दे था। मल्लिनाथ जी के गुरु का नाम उगम सिंह भाटी था।

कल्ला जी राठौड़

वीर योद्धा कल्लाजी राठौड़ राजस्थान के एक योद्धा थे, जिन्हें राजस्थान लोक देवता के रूप में पूजा जाता हैं। कल्लाजी राठौड़ का जन्म मेड़ता राज परिवार में हुआ था। इनका जन्म सन 1601 को हुआ था। बता दें कि राजस्थान की भक्तिमय संत मीराबाई कल्लाजी राठौड़ की बुआ थी।

कल्लाजी राठौड़ सन् 1567 ईस्वी में मेवाड़ के तीसरे शाके युद्ध के दौरान (जो अकबर से हो रहा था) वीरगति को प्राप्त हुए । कल्लाजी राठौड़ अस्त्र-शस्त्र की विद्या में निपुण और एक शासन निर्णय वीर योद्धा थे, जिन्होंने मुगलों को आखरी दम तक धूल चटाई और एक कुशल योद्धा का परिचय दिया।

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संपूर्ण राजस्थान में वीर कल्लाजी राठौड़ को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। कल्ला जी के गुरु प्रसिद्ध योगी भैरवनाथ जी है। कल्लाजी राठौड़ का मेला चैत्र मास की कृष्ण एकादशी से शुक्ला एकादशी तक बाड़मेर के तिलवाड़ा क्षेत्र में लूणी नदी के किनारे पर भरता है। कल्ला जी राठौड़ को चार भुजाओं वाले देवता भी कहा जाता है।

भोमिया जी

भोमिया जी राजस्थान के प्रत्येक छोटे बड़े गांव, कस्बे, मोहल्ले और शहर में पूजे जाते हैं। भूमिया जी भूमि के रक्षक होते हैं। भोमिया जी अपने भूमि, घर, परिवार की रक्षा और गायों की रक्षा करने के लिए जाने जाते हैं। सभी गांव में और प्रत्येक परिवार में आपको ज्यादातर भोमिया जी के मंदिर देखने को मिल जाएंगे।

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भोमिया जी परिवार का एक सदस्य होता है जो देवलोक होने के बाद इष्ट देव का रूप धारण कर लेता है, उसके बाद वे अपने भूमि और परिवार की रक्षा करता है। प्राचीन समय गायों की रक्षा करने हेतु और अपने राज्य की रक्षा हेतु युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए शासको को झुंझार भोमिया के रूप में पूजा जाता है।

मामादेव जी

मामाजी पश्चिम राजस्थान के लोकप्रिय देवता है, इन्हें बरसात के देवता भी कहते हैं। क्योंकि बारिश के समय बरसात नहीं होने पर मामा जी के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने पर बारिश होने शुरू हो जाती है। मामा जी के मंदिर में लकड़ी के बने हुए घोड़े रखे जाते हैं।

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वीर बग्गा जी

वीर बिग्गा जी का जन्म बीकानेर के जांगल गांव में जाट परिवार में हुआ था। वीर बिग्गाजी को गायों के लिए पूजा जाता है, क्योंकि वे मुस्लिम लुटेरों से गायों को छुड़ाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। वीर बिग्गा जी का मंदिर बीकानेर में बना हुआ है। इनकी माता का नाम सुल्तानी और पिता का नाम राम मोहन था। वीर बिग्गा जी जाखड़ समाज के कुलदेवता माने जाते हैं।

पनराज जी

पनराज जी गायों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। इन्होंने ब्राह्मणों की गाय छुड़ाते हुए वीरगति प्राप्त की थी। इनका मंदिर जैसलमेर के पनराजसर में स्थित है। जैसलमेर में पनराज जी गौ रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। इनका जन्म जैसलमेर के नंगा ग्राम में हुआ था। यह एक वीर योद्धा थे, जो गायों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

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तल्लीनाथ जी

तल्लीनाथ जी का वास्तविक नाम नागदेव राठौड़ था। तल्लीनाथ जी जालौर जिले के प्रसिद्ध लोक देवता है। इनके गुरु जलन्धरनाथ थे, पिता का नाम वीरमदेव था, तल्लीनाथ जी जोधपुर के शेरगढ़ पर शासन करते थे।

इलोजी जी

इलोजी राजस्थान के पश्चिम क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है। इन्हें जैसलमेर में अत्यधिक पूजा जाता है। इनका मंदिर जैसलमेर के इलोजी में स्थित है, इन्होंने अपने पूरे जीवन में विवाह नहीं किया था।

भूरिया बाबा

मीणा जनजाति के लोग भूरिया बाबा को अपना आराध्य देव मानते हैं और यह मीणा जाति के इष्टदेव हैं। भूरिया बाबा का मंदिर सिरोही जिले स्थित है। यहां पर मीणा जनजाति के लोगों का भव्य मेला आयोजित किया जाता है।

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वीर फता जी

वीर फता जी का जन्म जालौर जिले के सांथू गांव में हुआ था। वीर फता जी के जन्म स्थल गांव सांथू में हर वर्ष भादवा मास की नवमी को मेला आयोजित किया जाता है।

डूंगजी- जवाहर जी

डूंगजी जवाहर जी शेखावाटी क्षेत्र के लोकप्रिय लोक देवता है।

पंचवीर जी

पंचवीर जी शेखावत समाज के कुलदेवता है, इनका मंदिर शिखर के अजीतगढ़ में स्थित हैं। पंचवीर जी शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय लोक देवता है।

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