राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र Rajasthan ke Parmukh Rajwansh

राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र – भारत देश में राजस्थान राज्य का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता फली-फली थी। राजस्थान के प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल और अब वर्तमान काल तक राजपूत राजाओं का शासन रहा।

राजस्थान में राजपूत राजाओं ने अपनी तलवार से अदम्य साहस का परिचय देते हुए विदेशी ताकतों का सामना करके उन्हें अपने मातृभूमि से खदेड़ फेंका था। देश और संपूर्ण दुनिया में राजस्थान के राजपूत राजा, महाराजाओं और क्षत्राणीयों की वीर गाथाएं, कहानियों, कविताओं और इतिहास की किताबों मे पढ़ाया जाता है।

राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र- Rajasthan ke Parmukh Rajwansh

राजपूत राजाओं ने अपने शासनकाल में अपने राज्य की सुरक्षा हेतु विदेशी शासकों का युद्ध करके सामना किया और उन्हें अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र रखने के लिए निरंतर प्रयास किया। राजपूत राजा की वीर गाथाएं अनेक प्रकार की कहानियां, कविताएं, ऐतिहासिक किताबों में देखी और पढ़ी जा सकती है।

राजपूत शासन काल में राजस्थान अत्यंत समृद्ध और विकसित राज्य था, क्योंकि राजपूत शासक पूरी ईमानदारी के साथ अपने राज्य का विस्तार और विकास करते थे। राजपूत काल में राजपूत राजाओं ने अपने राजवंश परिवार के लिए अनेक प्रकार के रीती-रिवाज बनाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम बनाएं, धार्मिक कार्यक्रम बनाएं।

राजस्थान का संपूर्ण इतिहास- history of Rajasthan in Hindi

राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र- Major Dynasties of Rajasthan

क्षत्रिय राजाओं ने अपने शासनकाल में संपूर्ण राजस्थान में हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर, सड़कें, इमारतें, बाजार, दुर्ग, महल, हवेलिया, गढ़, किले, स्मारक इत्यादि का निर्माण करवाया था, जिन्हें देखने के लिए आज हर वर्ष करोड़ों देश और संपूर्ण दुनिया भर के पर्यटक आते हैं।

राजपूतों को गुलामी पसंद नहीं थी, इसीलिए वे समय-समय पर युद्ध करते रहते थे और अपने रियासत को हमेशा स्वतंत्र रखने हेतु निरंतर प्रयास करते रहते थे। तो आज हम आपको राजस्थान के प्रमुख राजपूत राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताएंगे –

राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र Rajasthan ke Parmukh Rajwansh
राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र Rajasthan ke Parmukh Rajwansh

सिसोदिया वंश – Sisodia Dynasty

मेवाड़ में राणा हमीर ने सिसोदिया वंश के राज्य की स्थापना की थी, जो राणा राहप के वंशज थे। आपको बता देंगे सन् 556 ईसवी में जिस गुहिल वंश की स्थापना हुई थी वह समय के कालांतर के अनुसार गोहिल वंश बाद में गहलोत वंश का रूप ले लिया और अब यह सिसोदिया राजवंश के नाम से जाना जाता है। सिसोदिया राजवंश गोरिल्ला राजवंश की एक शाखा ही है।

सिसोदिया राजवंश के उत्तराधिकारी मेवाड़ के महाराणा थे। सिसोदिया वंश की कुलदेवी बाण माता का प्रसिद्ध और मुख्य मंदिर चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में स्थित है। विश्व प्रसिद्ध शूरवीर योद्धा महाराणा प्रताप जी सिसोदिया राजवंश के शासक थे। उन्होंने अपने आखिरी सांस तक मुगलों की गुलामी सहन नहीं की और हमेशा स्वतंत्रता के लिए लड़े व एक अद्भुत वीर योद्धा का परिचय दिया।

चौहान वंश – Chauhan Dynasty

चौहान वंश को चह्वाण या चहूआण भी कहते हैं, यह वंश भारत का राजपूतों का एक राजवंश है। चौहान वंश ने राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत के अनेक राज्यों पर अपना शासन स्थापित किया था। चौहान राजवंश ने 7वीं शताब्दी से लेकर भारत की आजादी तक राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी रियासतों पर शासन किया था।

भारत में चौहान वंश के संस्थापक वासुदेव चौहान को माना जाता है। चौहान वंश की आराध्य देवी जीण माता है, जबकि कुलदेवी आशापुरा माता है। विश्व प्रसिद्ध वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान जिन्होंने ना केवल मोहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध में हराया था अपितु संपूर्ण भारत पर शासन किया था। पृथ्वीराज चौहान दिल्ली की गद्दी पर विराजमान शासन करने वाले भारत के आखिरी हिंदू सम्राट थे।

बता देंगे रामायण काल में राजा दशरथ के बाद राजपूत काल में वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान, यह मात्र दो क्षत्रिय शासक संपूर्ण दुनिया के ऐसे राजा थे, जो बिना देखे केवल आवाज सुनकर सटीक निशाना लगा देते थे।

राजस्थान में चौहान वंश एवं प्रसिद्ध शासक-

रणथंबोर के चौहान, जालौर के चौहान, हाड़ा चौहान, सांभर के चौहान है जबकि अजय देव चौहान, विग्रहराज चतुर्थ, पृथ्वीराज चौहान, पृथ्वीराज तृतीय इत्यादि प्रमुख चौहान वंश के शासक थे।

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भाटी वंश – Bhati Dynasty

भाटी वंश ने जैसलमेर पर शासन किया था, जैसलमेर को ही भाटीयों का गढ़ कहा जाता है। भाटी वंश की कुलदेवी आवड़जी है। भाटी वंश ने जैसलमेर दुर्ग का निर्माण करवाया था और बीकानेर पर भी शासन किया था। भाटी राजवंश के राज्य चिन्ह में ढाल पर खंजन पक्षी और ढाल के दुसरी तरफ हिरण व बीच में एक बलिष्ट पुरुष की भुजा से एक तरफ से मुड़ा हुआ भाला है।

गहलोत वंश – Gahlot Dynasty

गहलोत वंश की स्थापना बप्पा रावल ने सन 734 ईसवी में की थी। गहलोत वंश की स्थापना राजा मान मौर्य से चित्तौड़ की सत्ता छीन कर बप्पा रावल ने की थी। गहलोत राजवंश ने उदयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा के क्षेत्रों में शासन किया था, जो वर्तमान समय में भी यहीं पर निवास करते हैं। गहलोत राजवंश की कुलदेवी बाण माता है जिनका मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है।

राठौड़ वंश – Rathore Dynasty

राठौड़ राजवंश के मूल पुरुष राव सीहा जी को कहते हैं। राठौड़ों का राजवंश पाली से शासन प्रारंभ किया था। राठौड़ों की कुलदेवी नागणेची माता है। नागणेची माता का मंदिर जोधपुर जिले के नागाणा गांव में स्थित हैं। राजस्थान में राठौड़ों की सबसे ज्यादा रियासतें थी। राजपूत शासन काल में राठौड़ ने मारवाड़, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, रतलाम, मेड़ता इत्यादि रियासतों पर शासन किया था।

परमार वंश – Paramara dynasty

परमार राजवंश भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में 9वी से 14 शताब्दी के बीच शासन करते थे। परमार राजवंश के प्रथम शासक उपेंद्र थे, जबकि परमार वंश का संस्थापक महर्षि वशिष्ठ थे। परमार राजवंश की कुलदेवी सच्चियाय माता है, जो वर्तमान समय में गजानन माता नाम से जानी जाती है। परमार राजवंश का अधिकार थार रेगिस्तान से लेकर मध्य प्रदेश के उज्जैनी राज्यों तक फैला हुआ था।

यादव वंश – Yadava Dynasty

यादव राजवंश भारत के राजपूतों का एक गोत्र है, जो वर्तमान समय में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश इत्यादि क्षेत्रों में निवास करता है। यादव राजवंश के मुख्य शासन राज्य हनुमानगढ़, करौली, जैसलमेर इत्यादि थे।

राजपूत शासन काल में यादव वंश की राजधानी देवगिरी थी। राजपूतों के गोत्र यादव राजवंश में तुंगभद्रा नदी से लेकर नर्मदा नदी तक शासन किया था। यह भारत के इतिहास में अत्यंत प्राचीन है।

झाला वंश – jala Dynasty

झाला वंश की कुलदेवी मरमर माता को माना जाता है। झाला वंश ने गुजरात के काठियावाड़, सौराष्ट्र और राजस्थान के चित्तौड़गढ़, उदयपुर, जालौर, झालावाड़ इत्यादि क्षेत्रों में शासन किया था। झाला राजवंश राजपूतों का एक राजकुल है।

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कछवाहा वंश – Kachwaha

कछवाहा वंश राजपूतों के सूर्यवंशीयों की शाखा यह राजवंश प्राचीन काल से कृषि का कार्य करते थे। इनके मुख्य क्षेत्र प्रतापगढ़, जयपुर और अलवर थे। समय के अनुसार इन्हें कुशवाहा से कछवाहा कहा जाता है।

अंतिम शब्द

राजस्थान के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी हमने आपको इस आर्टिकल में बताई हैं। तो हम उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपको जरूर पसंद आएगी। राजस्थान के प्रमुख राजपूत राजवंश, राजस्थान के प्रसिद्ध राजपूत राजवंश, राजस्थान के प्रमुख राजवंश, राजस्थान के प्रसिद्ध राजवंश, राजस्थान के मुख्य राजवंश, राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध राजवंश एवं उनके शासन क्षेत्र।

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