राजस्थान के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार कौन-कौन से हैं? Rajasthan Ke Tyohar

राजस्थान के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार – भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है लेकिन भारत में सबसे ज्यादा त्योहार राजस्थान में मनाए जाते हैं। राजस्थान में पूरे वर्ष भर हर रोज कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है। राजस्थान के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार.

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राजस्थान की स्त्रियां पूरे भारत में सबसे ज्यादा व्रत/उपवास रखती है। राजस्थान अपनी संस्कृति, विरासत, आन-बान-शान, खानपान, रीति-रिवाज, वेशभूषा, पारंपरिक रिवाज और व्रत-त्योहार के लिए जाना जाता है।

राजस्थान के मुख्य त्यौहार कौन-कौनसे हैं?

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राजस्थान के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार कौन-कौन से हैं? Major Fasts And Festivals of Rajasthan

राजस्थान के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार कौन-कौन से हैं? Rajasthan Ke Tyohar
राजस्थान के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार कौन-कौन से हैं? Rajasthan Ke Tyohar

शीतलाष्टमी

शीतला माता को संपूर्ण राजस्थान निवासी पूरी आस्था व श्रद्धा से पूजते हैं, क्योंकि शीतला माता संक्रमण जैसे घातक रोग से बचाती है। यह त्यौहार चैत्र मास की कृष्ण अष्टमी को संपूर्ण राजस्थान में मनाया जाता है।

शीतला माता का मंदिर जयपुर के चाकसू में स्थित हैं। लेकिन जोधपुर शहर में भी शीतला अष्टमी को धूमधाम से माता शीतला की पूजा की जाती है। इस दिन कोई भी अपने घरों में चूल्हा नहीं चलाता है बल्कि बासी खाना खाते हैं।

आखा तीज

आखा तीज को संपूर्ण राजस्थान में अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान में हिंदू और जैन समाज का एक वार्षिक वसंत उत्सव है। यह वैशाख महीने के शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन विवाह के लिए शुभ मुहूर्त होता है इसीलिए अक्षय तृतीया के दिन सबसे ज्यादा विवाह होता है।

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गणगौर

गणगौर राजस्थान का एक प्रमुख त्योहार है, इसमें भगवान शिव की पत्नी गौरी की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को राजस्थान में महिलाएं बहुत ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाती है। गणगौर का त्योहार चैत्र मास की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। गणगौर के त्यौहार को कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना करने हेतु मनाते हैं।

घुड़ला

घुड़ला त्यौहार को चैत्र मास की कृष्णाष्टमी को मनाया जाता है। प्राचीन काल में जोधपुर के राजा राव सातलदेव ने अपहरण करने वाले घुड़ले नामक मुसलमान द्वारा महिलाओं को मुक्त कराया था। इसीलिए आज के समय में भी सभी राजस्थानवासी और खास तौर पर जोधपुर के पूर्व राजा सातलदेव की याद में घुड़ला का त्यौहार मनाते हैं।

सिंजारा

सिंजारा का त्यौहार राजस्थान में चैत्र मास की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है सिंजारा त्यौहार छोटी तीज या गणगौर त्यौहार के 1 दिन पूर्व सिजारा निकालते हैं।

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वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत जेष्ठ मास की अमावस्या को राजस्थान की विवाहित हिंदू धर्म की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन हिंदू स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं।

रामदेव जयन्ती

राजस्थान के प्रमुख व प्रसिद्ध लोक देवता बाबा रामदेव जी का जन्मोत्सव भादवा मास की शुक्ल दशमी को बाबा रामदेव जयंती के रूप में मनाते हैं। रामदेव जयंती के दिन जैसलमेर जिले के रुणिचे रामदेवरा में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें संपूर्ण राजस्थान वासियों की अपार श्रद्धा देखने को मिलती है।

साँझी

इस पर्व को आश्विन मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक मनाया जाता है इस त्यौहार में कुंवारी कन्या के अलग-अलग प्रकार की झांकियां बनाते हैं। इन 15 दिनों में हर जगह रौनक उत्साह रंग बिरंगी झांकियां नजर आती है।

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सातुडी तीज

सातुड़ी तीज को सातु, कजरी तीज या बड़ी तीज इत्यादि अनेक नाम से कहा जाता है। यह तीज का त्यौहार भादवा माह की कृष्णा तृतीया को मनाया जाता है। त्योहार में राजस्थान की हिंदू महिलाएं व्रत रखकर गायों की पूजा करती हैं। इस दिन बूंदी में एक भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है।

छोटी तीज

छोटी तीज को हरियाली तीज भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं लोकगीत गाती हुई झूला झूलती हैं। यह त्योहार श्रावण मास की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है।

हरतालिका तीज

हरतालिका तीज को भादवा मास की शुक्ल तृतीया के दिन राजस्थान की हिंदू महिलाओं द्वारा गौरी शंकर की पूजा करके मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकरो गोरी शंकर की पूजा करती है।

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तिलचौथ

तिल चौथ का पर्व माघ महीने की कृष्णा अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन श्री गणेश व चौथ माता को तिलकुट का भोग लगाकर पूजते हैं।

नाग पंचमी

नाग पंचमी को जोधपुर जिले में एक विशाल मेले का आयोजन होता है। यह नाग पंचमी श्रावण मास की कृष्ण पंचमी के दिन मनाई जाती है। इस दिन मुख्य तौर से नाग देवता को दूध चढ़ाते हैं।

अक्षय नवमी

अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। यह त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल नवमी के दिन मनाया जाता है।

गोगा नवमी

गोगा नवमी का त्योहार भादवा मास की कृष्णा नवमी को मनाया जाता है। गोगा जी महाराज राजस्थान के चौहान राजपूत शासक थे, जो वर्तमान समय में राजस्थान के लोक देवता के रूप में पूजनीय है। गोगा नवमी के दिन हनुमानगढ़ जिले के गोगामेडी शहर में भव्य मेले का आयोजन होता है।

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देवझूलनी एकादशी

देवझुलनी एकादशी को स्थानीय भाषा में देव झुलनी ग्यारस कहते हैं। यह त्यौहार भादवा मास की एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में स्थित देवताओं की मूर्तियों को रथ या पालकिया में विराजमान करके गाजा बाजा के साथ गांव के जलाशय या तालाब में स्नान करवाकर लाया जाता है।

तुलसी एकादशी

तुलसी एकादशी पर्व को कार्तिक मास की कृष्ण एकादशी के दिन तुलसी की पूजा करके मनाया जाता है। इस दिन तुलसी विवाह भी करवाया जाता है।

कामिका एकादशी व्रत

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं। यह व्रत श्रावण मास के कृष्ण एकादशी को मनाया जाता है।

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षट्तिला एकादशी

षटतिला एकादशी का व्रत माघ महीने की कृष्णा एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और काली गाय काले तिलों का दान किया जाता है।

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी का व्रत जेष्ठ मास की शुक्ल एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को पूरे दिन बिना जल के किया जाता है। इस व्रत को हिंदू महिलाएं पूरी श्रद्धा से रखती है।

देव उठनी ग्यारस

देवउठनी ग्यारस का त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं।

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ग्यारस आमलकी

आमलकी ग्यारस को फाल्गुन मास की शुक्ल एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन से राजस्थान में खाटू श्याम जी का मेला प्रारंभ हो जाता है इस दिन व्रत करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

बछबारस

बछबारस का त्यौहार भादवा मास की कृष्ण द्वादशी को मनाया जाता है। यह पर्व राजस्थान की महिलाओं को अत्यंत प्रिय है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर गाय व बछड़े की सेवा करती है।

मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या को माघ महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान मनु का जन्मदिन है मौनी अमावस्या को मौन व्रत करके मनाया जाता है।

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हरियाली अमावस्या

हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। अमावस्या को खासतौर पर राजस्थान के किसानों द्वारा मनाया जाता है।

वैशाख पूर्णिमा

वैशाख पूर्णिमा को राजस्थान में भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे राजस्थान में हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग वैशाख पूर्णिमा नाम से बनाते हैं।

पीपल पूर्णिमा

पीपल पूर्णिमा को जेष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा करके मनाते हैं। इस दिन राजस्थान में हिंदू धर्म की महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा करते हैं।

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अंतिम शब्द

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