राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले Rajasthan Ke Mele

राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले – राजस्थान अपनी संस्कृति, परिवेश, खानपान, रीति-रिवाज, विरासत व जीवन शैली के लिए देश और दुनिया भर में जाना जाता है। राजस्थान में मेला का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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राजस्थान में मेले का आयोजन प्रदेश की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। इन मेलों में दूर-दूर से लोग दस्तकारी व कलात्मक वस्तुएं बेचने व खरीदने के लिए आते हैं। राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले.

राजस्थान के प्रमुख मेले- Major Fairs of Rajasthan


दस्तकारी, कलाकारी, कलात्मक वस्तुएं व साजो-सामान की वस्तुएं को बेचने व खरीदने के उद्देश्य से लोग दूर-दूर से मेला में जाते हैं। यहा लोग मेला देखने और आवश्यक वस्तुओं को खरीदने व बेचने के लिए जाते हैं। मेलों में इस प्रकार की वस्तुएं सस्ते दामों में मिलती है, इसीलिए इन मेलों का महत्व है।

 

इस आर्टिकल को आप पूरा लास्ट तक जरूर पढ़े, क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान के प्रमुख मेले, राजस्थान के प्रसिद्ध मेले कौन-कौनसे हैं, राजस्थान के धार्मिक मेले कौन-कौन से हैं, राजस्थान के मेले के बारे में विस्तार से पूरी जानकारी बताएंगे –

राजस्थान के प्रमुख/प्रसिद्ध मेले कौन-कौनसे हैं?

राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले Rajasthan Ke Mele
राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले Rajasthan Ke Mele

बेणेश्वर का मेला- Rajasthan Ke Pramukh Mele

बेणेश्वर मेला राजस्थान के डूंगरपुर जिले में हर वर्ष आयोजित किया जाता है। यह कौशिक आदिवासी मेला है, जो माही व जाखम नदियों के संगम पर लगता है। बेणेश्वर का यह मेला आदिवासियों के लिए कुंभ मेले की तरह है। हर वर्ष यह मेला जनवरी या फरवरी महीने की माघ पूर्णिमा को लगता है।

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षुष्कर का मेला

पुष्कर मेला राजस्थान का सबसे बड़ा मेला है। इस मेले में लाखों हिंदू पवित्र पुष्कर झील में स्नान करने अनेक प्रकार की कलात्मक और अद्भुत वस्तुएं खरीदने व बेचने हेतु जाते हैं। इस मेले में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का भी आगमन होता है। यह भारत का सबसे बड़ा ऊंट व घोड़े जैसे पशुओं को बेचने का मेला है।

बाणगंगा मेला- Rajasthan Ke Pramukh Mele

बाणगंगा मेला राजस्थान के जयपुर जिले में लगता है। पूर्णिमा के दिन लगने वाले इस मेले में पूजा करके पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस मेले में दूर-दूर से तीर्थयात्री आते हैं। यह एक राजस्थान का बड़ा वह प्रसिद्ध मेला है।

रामदेवरा मेला- Rajasthan Ke Pramukh Mele

जैसलमेर के रामदेवरा में बाबा रामदेव जी महाराज का मेला संपूर्ण राजस्थान और गुजरात वासियों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर भादरवा शुल्क की दाद्शी से एकादशी तक मेला लगा रहता है।

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भादरवा महीने की शुरुआत से ही संपूर्ण राजस्थान व गुजरात के दूरदराज से लोग पैदल यात्रा करके रामदेवरा पहुंचते हैं। भादमा महीना के शुरुआत से ही राजस्थान और गुजरात के सभी सड़कें (जो रामदेवरा की तरफ आती है) पर बाबा रामदेव जी के भक्तों की लाइन लगी रहती है।

राजस्थान के लोक देवता बाबा रामदेव जी का मेला आस्था व संस्कृति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यहां पर हिंदू व मुस्लिम दोनों ही श्रद्धा से आते हैं।

सालासर हनुमान मेला

हर वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा को चुरू जिले के सालासर में सालासर हनुमान जी का मेला लगता है। यहां पर सालासर हनुमान जी का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर हनुमान जी के दाढ़ी और मूंछ हैं।

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कपिल मुनि का मेला

बीकानेर जिले के कोलायत में कपिल मुनि जी का मेला लगता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को आयोजित या मेला हिंदू और सिख धर्म का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। यहां पर 52 घाट वाली एक झील है, जो आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

गोगाजी का मेला

राजस्थान के लोक देवता चौहान राजपूत गोगा जी महाराज का मेला राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेडी गांव में गोगा जी की समाधि स्थल पर पूरे 1 माह तक लगा हुआ रहता है। गोगा जी महाराज का मेला संपूर्ण राजस्थान का सबसे लोकप्रिय और संपूर्ण राजस्थान में मनाए जाने वाला मेला है।

गोगाजी का मेला भद्रवाह मास के शुल्क पक्ष की नवमी को लगता है, जो पूरे जोर शोर से पूरे महीने संपूर्ण राजस्थान में प्रत्येक गांव में लगाया जाता है। सिद्ध वीर गोगा जी महाराज का जन्म स्थान राजस्थान के चुरू जिले के दत खेड़ा ददरेवा में स्थित है।

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गणगौर मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

राजस्थान के जयपुर में गणगौर मेला प्रसिद्ध है। यह मेला चैत्र मास की तृतीय व चतुर्थी को लगता है। इस मेले में राजस्थान सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल के लोग भी आते हैं। इस मेले में विभिन्न प्रकार की मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

राजस्थान के धार्मिक मेले- Religious Fairs of Rajasthan

शीतला माता का मेला

जयपुर के चाकसू क्षेत्र में शीतला माता का मेला चेत्र कृष्ण अष्टमी को लगता है। यहां पर शीतला माता का मंदिर है। इसके अलावा चैत्र माह की कृष्णा अष्टमी को संपूर्ण राजस्थान में भी शीतला माता के मंदिर पर मेला लगता है।

चारभुजा का मेला

भादवा मास की एकादशी को चारभुजा मेला राजसमंद में लगता है। यह मेला मेवाड़ के चार धामों में से एक पकवान चारभुजा नाथ जो कि राजसमंद जिले के गढ़बोर ग्राम में है लगता है। यहां पर गैर नृत्य का आयोजन किया जाता है। व फाग उत्सव भी मनाया जाता है।

चामुण्डा माता मेला

चामुंडा माता का का मेला राजस्थान के जोधपुर में लगता है। दो दिवसीय मेला आषाढ़ माह की शुक्ला नवमी को लगता है। यह जोधपुर का एक विशाल मेला होता है।

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दशहरा मेला- Rajasthan Ke Pramukh Mele

राजस्थान के कोटा जिले में दशहरा का मेला लगता है। दशहरे के आगमन से पूर्व ही यहां पर मेले की तैयारियां शुरू हो जाती है और यह काफी प्रसिद्ध मेला है, जो अश्विन शुक्ल दशमी को लगता है।

देवजी का मेला

देव जी का मेला भीलवाड़ा में भाद्रपद शुल्क छठवां सप्तमी को लगता है। यहां पर देवनारायण भगवान श्री विष्णु के अवतार का मंदिर स्थित है।

गणेश मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

गणेश चतुर्थी के दिन रणथंबोर सवाई माधोपुर में गणेश मेला लगता है। यहां पर भगवान श्री गणेश का ऐतिहासिक महत्व वाला प्राचीन मंदिर मौजूद है। यह शुल्क पक्ष की चतुर्थी को बहुत बड़ा मेला लगता है।

करणी माता का मेला

करणी माता का मेला बीकानेर जिले के देशनोक में लगता है। यहां पर माता करणी का प्राचीन व प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यहां पर लगभग 25000 कले चूहें रहते हैं। देशनोक में करणी माता का मंदिर राजस्थान में आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां पर चैत्र माह की नवरात्रा में मेला लगता है।

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घुश्मेश्वर का मेला

सवाई माधोपुर के शिवाड़ क्षेत्र में यह मेला शिवरात्रि के दिन लगता है। यहां पर आस्था का धाम घुश्मेश्वर मंदिर स्थित है।

गौतमेश्वर मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

प्रतापगढ़ जिले में यह मेला वैशाख पूर्णिमा से ज्येष्ठ तक चलता है। यहां पर गौतमेश्वर महादेव का मंदिर है। जहां पर यह मेला लगता है। वर्ष में एक बार लगने वाला यह मेला अरावली पर्वत मालाओं के बीच स्थित है।

घोटियाआम्बा मेला

चैत्र मास की अमावस्या से पंचमी तक चलने वाला यह मेला बांसवाड़ा जिले में लगता है। 5 दिनों तक चलने वाले इस मेले में गुजरात, राजस्थान व मालवा के आदिवासी लोग दूर-दूर से चलकर आते हैं। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां पर काफी समय बिताया था।

गुरुजम्भेश्वर मेला

बीकानेर की नोखा तहसील में मुकाम पर यह मेला भगवान गुरु जंभेश्वर का लगता है। यहां जंभेश्वर का मंदिर बना हुआ है। यह बिश्नोई समुदाय का एक मुख्य तीर्थ स्थल है। जहां पर हर वर्ष फाल्गुन व आसोज में मेला लगता है।

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जीण माता का मेला

जीण माता का मेला सीकर में लगता है। यहां पर जीण माता का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मेला चेत्र व अश्विन में नवरात्रि को लगता है।

जसनाथजी का मेला

जसनाथी संप्रदाय के लोगों का यह मेला बीकानेर से लगभग 50 किलोमीटर दूर कतरियासर क्षेत्र मे लगता है। जसनाथी संप्रदाय के लोग 36 नियमों का पालन करते हैं।

कैला देवी का मेला

कैला देवी का मेला सवाई माधोपुर में लगता है। यह मेला कई दिनों तक चलता रहता है। केला देवी का मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है और इसका भी अपना इतिहास है। यहां पर दूर-दूर से चलकर भक्त आते हैं।

केसरिया नाथ जी का मेला

केसरिया नाथ जी का मेला मेवाड़ में लगता है। यह मेला चैत्र माह की अष्टमी को लगता है।

खेजड़ली का मेला

खेजड़ली का मेला जोधपुर जिले के खेजड़ी में लगता है। यहां पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। यहां पर भाद्रपद शुल्क दशमी को मिला लगता है।

कल्याण जी का मेला

राजस्थान के टोंक जिले में कल्याण जी का मेला भाद्रपद शुक्ल एकादशी को लगता है। इस मेले में दूर-दूर से पैदल श्रद्धालु आते हैं।

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लालदासजी का मेला

लाल दास जी का मेला अलवर जिले में आयोजित होता है। यह मेला आश्विन पूर्णिमा को लगता है।

महावीर जी का मेला

हर वर्ष महावीर जयंती पर महावीर जी का मेला राजस्थान के महावीर जी नामक स्थान पर लगता है। इस मेले का आयोजन चैत्र शुल्क की त्रयोदशी से कृष्णा द्वितीय तक लगा रहता है।

माता कुण्डलिनी का मेला

यह मेला वैशाख माह की पूर्णिमा को लगता है, जो चित्तौड़गढ़ में आयोजित होता है। यह चित्तौड़गढ़ का एक प्रसिद्ध मेला है। यहां पर लाखों लोग दूर-दूर से आते हैं।

मातृकुंडिया मेला

मातृकुंडिया मेला हरनाथपुर में लगता है। यह मेला वैशाख माह की पूर्णिमा को लगता है।

मचकुण्ड मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

मचकुंड मेला धौलपुर के मचकुंड पर भद्रवा के पंचमी से सप्तमी तक लगा रहता है। दो दिवसीय इस मेले को लक्खी मेला भी कहा जाता है।

निम्बोकानाथ मेला

राजस्थान के पाली जिला में निंबो का नाथ मेला लगता है। पाली जिले में यह मेला वैशाख माह की पूर्णिमा को लगता है। यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं।

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पांडुपोल हनुमान मेला

भद्रवाह महा की शुक्ल चतुर्थी को पांडुपोल हनुमान मेला अलवर जिले में लगता है। अलवर जिले में इस स्थान पर हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में मूर्ति है। यहां मंदिर अरावली की पहाड़ियों में स्थित हैं। जिसका संबंध महाभारत के इतिहास से जुड़ा हुआ है।

परशुराम महादेय मेला

परशुराम महादेव मेला राजस्थान के पाली जिले के सादड़ी मे लगता है। यह मेला श्रावण मास की शुक्ल सप्तमी को लगता है।

दादूजी का मेला

फाल्गुन महा की फाल्गुन शुक्ला पंचमी से दशमी तक लगा रहता है। यह मेला जयपुर में लगता है, जो सात दिवसीय लगा रहता है।

डोल मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

यह मेला राजस्थान के बांरा जिले में लगता है, जो दो दिवसीय चलता है। डोल मेला भाद्र पक्ष शुल्क एकादश को लगता है, इसे श्री जी का मेला भी कहते हैं।

राणी सती का मेला

रानी सती माता का मेला राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र में लगता है। रानी सती को दादी जी या नारायणी देवी भी कहते हैं। रानी सती मारवाड़ की एक वीरांगना थी। उनकी याद में भादवा मास में यह मेला लगता है।

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ऋषभदेवजी का मेला

ऋषभ देव जी का मेला उदयपुर में लगता है। ऋषभदेव मंदिर को जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल कहा जाता है। यहां पर अधिकांश तीर्थयात्री केसर चढ़ाते हैं, इसीलिए इस मंदिर को केसरियाजी कहा जाता है।

साहवा सिख मेला

चुरू जिले के तारानगर तहसील मे सिख धर्म का सबसे बड़ा मेला सहाबा गांव में लगता है। यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा को लगता है। यहां पर देश भर के सिख समुदाय के लोग मत्था टेकने आते हैं।

सालेश्वर महादेव मेला

कालेश्वर महादेव जी का मेला राजस्थान के पाली जिले के गुड़ा प्रताप सिंह नगर में लगता है। पाली में कालेश्वर महादेव जी का मेला श्रावण मास की शुक्ल षष्ठी व सप्तमी को लगता है ।

सारणेश्वर महादेव मेला

सारणेश्वर महादेव मेला राजस्थान के सिरोही जिले में लगता है। यह मेला लगातार तीन दिनों तक लगा हुआ रहता है, जो भाद्रपद शुक्ला द्वादशी को लगता है।

सोनाणा खेतलाजी मेला

सोनाणा खेतलाजी का मेला राजस्थान के सारंगवास में लगता है। सारंगवास में लगने वाला है यह खेतलाजी का मेला चैत्र मास को लगता है।

शाकम्भरी माता मेला

यह मेला राजस्थान के सांभर पीठ में लगता है। शाकंभरी माता का मेला चित्र व अश्विन में नवरात्रि में लगता है। शाकंभरी माता का मंदिर चौहान शासकों ने बनवाया था।

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तेजाजी का मेला

राजस्थान के लोक देवता वीर तेजाजी महाराज का मेला नागौर जिले में के परबतसर में लगता है। यह एक राजस्थान का प्रसिद्ध मेला है। तेजाजी का यह प्रसिद्ध मेला भादवा में लगता है।

तिलवाड़ा का मेला

तिलवाड़ा में लगने वाला यह एक पशु मेला है, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में आयोजित होता है। इस मेले में दूर-दूर से लाखों लोग पशुओं को बेचने व खरीदने के लिए आते हैं। तिलवाड़ा में यह मेला चैत्र मास में लूनी नदी के किनारे पर लगता है।

त्रिपुरा सुंदरी मेला

बांसवाड़ा जिले के तलवाड़ा क्षेत्र में लगने वाला यह तीज का मेला है। त्रिपुरा सुंदरी माता का यह मेला चैत्र मास की नवरात्रि में अष्टमी पर आयोजित होता है।

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तीज मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

तीज का मेला जयपुर में श्रावण मास की शुक्ल तृतीया को लगता है। यह जयपुर का एक प्रसिद्ध मेला हैं।

वीरपुरी का मेला – Rajasthan Ke Pramukh Mele

जोधपुर जिले के मंडोर में यह मेला लगता है। वीर पुरी का मेला मंडोर शहर में श्रावण मास में लगता है।

बुड्ढा जोहड़ मेला

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में यह मेला श्रावण मास की अमावस्या को लगता है। यह मेला सुखा सिंह और मेहताब सिंह द्वारा मांसा रंगाहार के सर लाए जाने की याद में आयोजित कराया जाता है।

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विराटनगर का मेला – Rajasthan Ke Mele

जयपुर जिले में स्थित विराटनगर में यह मेला वैशाख मास को लगता है। यहां पर भैरू बाबा का मंदिर स्थित है। यह पूरा स्थान अरावली की पहाड़ियों से गिरा हुआ है, इसलिए इसका दृश्य मनमोहक लगता है।

आन्देश्वर पाश्र्वनाथ मेला

आन्देश्वर पार्श्वनाथ का मेला बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ तहसील में लगता है। यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा को लगता है। Rajasthan Ke Pramukh Mele.

भर्तृहरी का मेला

भर्तृहरी मेला राजस्थान के अलवर जिले में हर वर्ष भादवा सुदी अष्टम को लगता है। इस मेले में हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों से भी लोग पूजा करने आते हैं। यहां पर भर्तृहरी का समाधि स्थल है।

अंतिम शब्द

इस आलेख में हमने राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के प्रसिद्ध मेले के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से और आसान भाषा में बताइ है। तो हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख जरूर पसंद आएगा। इस आर्टिकल को आप अपने परिवारजनों और मित्रों के साथ सोशल मीडिया के जरिए शेयर जरूर करें। राजस्थान के प्रमुख मेले- राजस्थान के धार्मिक मेले.

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