राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा- Traditional Outfits of Rajasthan

राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा – राजस्थान का नाम आते ही हमें राजस्थानी लोकगीत, लोक नृत्य, रंग-बिरंगे कपड़े, पारंपरिक वेशभूषा, लोगों के भाषा-विचार, संस्कृति, रीति-रिवाज और आकर्षक गहने दिखाई देते हैं। “राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा” राजस्थान की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है और यही राजस्थान की पहचान है।

राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा-Traditional Outfits of Rajasthan

मारवाड़ (राजस्थान) जैसी वेशभूषा संपूर्ण विश्व में कहीं पर भी नहीं है, राजस्थानी लोग धर्म के अनुसार, व्रत त्योहार के अनुसार, सांस्कृतिक कार्यक्रम के अनुसार अलग-अलग किस्म के रंग-बिरंगे कसीदे, कलाकारी और रजवाड़ी वेशभूषा के वस्त्र और पोशाकें पहनकर राजस्थान की संस्कृति को चार चांद लगा देते हैं। वर्तमान समय में दुनिया भर के लोग राजस्थानी वेशभूषा को धारण करके फोटो खिंचवाते हैं।

राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा- Traditional Outfits of Rajasthan
राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा- Traditional Outfits of Rajasthan

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दुनिया भर से आने वाले पर्यटक राजस्थान की ऊंची-ऊंची इमारत, प्राचीन महल, हवेलियां, दुर्ग, धरोहर, लोगों के भाषा-विचार, खानपान, रहन-सहन, राजपूत शासकों की शान, संस्कृति और लोगों के रंग-बिरंगी हस्त कलात्मक पोशाके, लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक वेशभूषा, पर्यटकों का मन मोह लेती है। राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा

तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा – राजस्थान की वेशभूषा के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से बताएंगे –

राजस्थानी पुरुषो की पारंपरिक वेशभूषा क्या है?-Traditional Gents Outfits of Rajasthan

राजस्थानी पुरुषो की पारंपरिक वेशभूषा क्या है?-Traditional Gents Outfits of Rajasthan
राजस्थानी पुरुषो की पारंपरिक वेशभूषा क्या है?-Traditional Gents Outfits of Rajasthan

पगड़ी

प्रतिष्ठा का प्रतीक माने जाने वाली पगड़ी राजस्थान की शान है, क्योंकि राजस्थानी लोग बिना पगड़ी के घर से बाहर नहीं निकलते हैं और ना ही ग्रामीण लोगों या मेहमानों से मिलते हैं। राजस्थानी लोग पगड़ी पहनने के बाद ही पूरे सम्मान के साथ लोगों से मिलते हैं।

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राजस्थानी पगड़ी कितने प्रकार की होती हैं?

राजस्थान में अनेक प्रकार की पगड़ी होती है जो अलग-अलग अवसर पर और अलग-अलग ऋतु में समय अनुसार पहने जाती हैं।

विवाह के समय पहने जाने वाली पगली को मोठडा पगड़ी कहते हैं।

श्रावण मास में राजस्थानी लोग लहरिया पगड़ी पहनते हैं।

दशहरे के अवसर पर राजस्थानी मधील पगड़ी पहनते हैं।

दीपावली के शुभ अवसर पर राजस्थानी लोग केसरिया पगड़ी पहनते हैं।

होली के धार्मिक अवसर पर लोग फूल-पत्ती वाली पगड़ी पहनते हैं।

राजस्थान के सुनार मोटे पट्टे वाली पगड़ी पहनते हैं।

राजस्थान में किसी की मृत्यु होने के पश्चात सफेद रंग की पगड़ी बांधते हैं।

विवाह के समय जोधपुरी पगड़ी संपूर्ण राजस्थान में प्रसिद्ध है, जिसे आज देश और दुनिया भर के लोग भी शौक से पहनते हैं।

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राजस्थान की रियासतें पगड़ी कौन-कौन सी है?

जसवंत साही, राठौड़ी शाही, अमर शाही, भीम शाही, चुंडावत शाही, मानस शाही, उदय साही, इत्यादि अनेक प्रकार की रियासती पगड़िया है।

इसके अलावा कस्तूरिया, अमरसिया, फूल बुआड़ी, कसूमल, गुलनार, मोठड़ा, बूंटीदार, सिन्दूरिया, सुआपंखी, राजाशाही, मलयागिरी, समदर लहर, किरमची रंग, जवाई, फागुणियां, बीदामी, इत्यादि अनेक प्रकार की अन्य राजस्थानी पगड़ी के प्रकार हैं।

अंगरखी

राजस्थान में पुरुषों के ऊपरी भाग में पहने जाने वाले वस्त्र को अंगरखी कहते हैं। यह कपड़ा कपास से बना होता है जो अत्यंत जटिल और गर्म रहता है। कमीज को राजस्थानी भाषा में बुगतरी, डोढी, बूसट, तनसुख इत्यादि अन्य नाम से पुकारा जाता है।

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चौगा

यहां राजस्थानी पुरुषों का ऊपर के अंग पर पहने जाने वाला वस्त्र है, इसे अंगरखी के ऊपर पहनते हैं।

जामा

इसे राजस्थानी पुरुष शादी के विशेष अवसरों पर पहनते हैं, जो कि घुटनों तक आता है।

आत्मसुख

सर्दी के ऋतु में शरीर को बचाव हेतु आत्म सुख हेतु अंगरखी के ऊपर यह ऊनी वस्त्र पहना जाता है।

पटका

अंगरकी के ऊपर कमर पर कमरबंद पटा बांधने की प्रथा सदियों से चली आ रही है, जिसमें प्राचीन काल में वीर योद्धा तलवार या कटार लटकाते थे और वर्तमान समय के लोग काम करते समय कमर बांधते हैं ताकि उन्हें कमर दर्द ना हो।

खोयतू

राजस्थान के लंगोटिया भीलों द्वारा कमर पर बांध जाने वाली एक लंगोट है, जिसे खोयतू कहते हैं।

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धोती

यहां एक कपड़े का बड़ा टुकड़ा होता है, जिसे शरीर का निचला हिस्सा (कमर से लेकर पूरे पैर) को ढकने के लिए धोती के रूप में पहनते हैं। यह सफेद रंग का बड़ा कपड़ा होता है।

राजस्थानी महिलाओं की वेशभूषा क्या हैं? Traditional Ladies Outfits of Rajasthan

राजस्थानी महिलाओं की वेशभूषा क्या हैं? Traditional Ladies Outfits of Rajasthan
राजस्थानी महिलाओं की वेशभूषा क्या हैं? Traditional Ladies Outfits of Rajasthan

ओढ़नी

ओढ़नी राजस्थान की पारंपरिक पोशाकों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे सर के ऊपर पहना जाता है, जिससे स्त्री का पूरा मुंह और सर ढका जा सके। राजस्थानी महिलाएं पूरे पारंपरिक पोशाक पहनने के बाद ओढ़नी ओढ़ती है,जिससे सर-मुंह ढक जाता है और दिखने में भी सुंदर और आकर्षक दिखता है।

राजस्थान में ओढनी कितने प्रकार की होती है?

लहरिया-

राजस्थानी महिलाएं तीज-त्यौहार के अवसर पर लहरिया ओढ़नी पहनती है।

पोमचा-

यह गुलाबी और पीले कलर की विशेष ओढ़नी होती है, जिसे बच्चे के जन्म के समय महिलाएं पहनती है।

चीड़ का पोमचा इस ओड़नी को हाडोती क्षेत्र में विधवा स्त्रियां पहनती है, यह काले रंग की होती है।

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कटकी-

कुंवारी कन्या द्वारा पहने जाने वाली ओढ़नी है।

लूंगडी-

राजस्थान में मीणा जाति की औरतें लूंगडी ओढ़नी पहनती है।

कुर्ती-कांचली

राजस्थानी स्त्रियां शरीर के ऊपरी हिस्से में कांचली पहनने के बाद ऊपर से कुर्ती पहनती है, जिससे ऊपर का पूरा हिस्सा ढक जाता है।

साड़ी

राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा अलग-अलग प्रकार की साड़ियां पहनी जाती है, जिन्हें अलग-अलग नाम से जानते हैं। जैसे- चोल, वसन, अंसुक, पट्टा, ओढ़नी, चोरसो, चीर, निचोल इत्यादि साड़ियों को अलग-अलग नाम से जानी जाती है।

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घाघरा

राजस्थानी स्त्रियों की पहचान ओढ़नी, कांचली, कुर्ती और घागरे से हैं। अधिकांश राजस्थानी महिलाएं घाघरा पहनती है, जो कि एक लंबी स्कर्ट होती है। जिससे पूर्ण पैर थक जाते हैं। वर्तमान समय में पूरे देश भर में शादी के समय दुल्हने रजवाड़ी लहंगा पहनती है, जोकि राजस्थानी घागरे का एक स्वरूप है।

घाघरा महिलाओं के कमर से लेकर पैर के निचले हिस्से तक पहने जाने वाला एक बड़ा घेरदार लहंगा होता है। घाघरा राजस्थान के सभी जाति धर्म और क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग कलर डिजाइन और अन्य प्रकार से पहने जाते है।

अंतिम शब्द

इस आलेख में हमने आपको राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा के बारे में संपूर्ण जानकारी बताइ है। तो हम उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा। इस आर्टिकल को आप अपने परिवारजनों और दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा ।

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