राजस्थान की प्रमुख नदियाँ कौन-कौनसी है? राजस्थान अपनी प्राचीन व प्राकृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है |
राज्य में चंबल नदी, बनास नदी, लूनी नदी, पार्वती नदी, बाणगंगा नदी, साबी नदी, साबरमती नदी इत्यादि अनेक प्रकार के प्रमुख व प्रसिद्ध नदियां राजस्थान में बहती है |
राजस्थान की मुख्य नदियाँ कौन-कौन सी है|
1. पार्वती नदी
2. चम्बल नदी
3. लूनी नदी
4. काली सिन्ध नदी
5. बनास नदी
6. बाह्यणी नदी
7. बाणगंगा नदी
8. घग्घर नदी
9. काकानी नदी
10. मेज नदी
11. साबी नदी
12. साबरमती नदी
13. परवन नदी
14. माही नदी
राजस्थान की प्रमुख नदियाँ- Rivers of Rajasthan
आज हम राजस्थान की प्रमुख नदियों के बारे में विस्तार से संपूर्ण जानकारी बताने वाले हैं | राजस्थान की नदियाँ निम्नलिखित हैं- राजस्थान की प्रमुख नदियाँ कौन-कौनसी है?
चम्बल नदी
चंबल नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के जनापाव की पहाड़ी के पास हुआ | चंबल नदी को प्राचीन काल में ‘चर्मण्यवती’ नदी के नाम से जाना जाता है | चंबल नदी राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के पास से होकर कोटा, बूंदी की सीमाओं को चीरती हुई करौली, सवाई माधोपुर, धौलपुर इत्यादि जिलों से होते हुए यमुना नदी में मिल जाती है |
चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियां- कालीसिंध, पार्वती और बनास नदी है | चंबल नदी पर जवाहर सागर, राणा प्रताप सागर, गांधी सागर तथा आप कोटा बैराज इत्यादि बांध बनाए गए हैं |
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बनास नदी
इस बनास नदी को वन की आशा भी कहते हैं, क्योंकि यह नदी अरावली पर्वत की पहाड़ियों से निकलती है | बनास नदी अरावली पर्वत की पहाड़ियों में कुंभलगढ़ से 5 किलोमीटर की दूरी से निकलती है |
बनास नदी की प्रमुख सहायक नदियां- खारी, कोठारी, बाण्डी, बेडच, मोरेल आदि है | बनास नदी गोगुंदा के पठार से प्रवाहित होती हुई राजसमंद, नाथद्वारा, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक इत्यादि जिले से होते हुए चंबल नदी में मिल जाती है |
लूनी नदी
लूनी नदी का उद्गम स्थल अजमेर का नाग पहाड़ है | राजस्थान की प्रमुख लूनी नदी अजमेर से होती हुई संपूर्ण राजस्थान को चीर कर गुजरात में कच्छ के रण में प्रवाहित हो जाती है | लूनी नदी सभी क्षेत्रों में बहती हुई लगभग 320 किलोमीटर तक चलती है |
अजमेर के नाग पहाड़ से निकलकर लूनी नदी जोधपुर, पाली, जालौर, बाड़मेर इत्यादि क्षेत्रों से प्रवाहित होती हुई कच्छ के रण में चली जाती है |
लूनी नदी का पानी राजस्थान के बालोतरा जिले तक मीठा रहता है, जबकि उसके बाद लूनी नदी का पानी खारा हो जाता है | लूनी नदी की प्रमुख सहायक नदियां- मीठड़ी, लीलड़ी, सुखड़ी, जवाई बाड़ी तथा सागी हैं |

काली सिन्ध नदी
कालीसिंध नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश है | मध्यप्रदेश में देवास के निकट से निकलते हुए झालावाड़ और बांरा जिले में बहती हुई चंबल नदी में जाकर मिलती हैं | कालीसिंध नदी की प्रमुख सहायक नदियां- परवन, आहू, निवाज और उजाड़ है |
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पार्वती नदी
पार्वती नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश का सिहोर क्षेत्र है | यह नदी मध्य प्रदेश के सिहोर क्षेत्र से निकलकर बारा जिले से बहती हुई सवाई माधोपुर में पालिया के निकट चंबल नदी में जहां मिलती है |
इस नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश का मेहंदी गांव है | यह नदी मध्य प्रदेश के मेहंदी गांव से निकलकर राजस्थान में झालावाड़ के नंदपुर नामक गांव में प्रवेश करती हैं |
यहां पर कोटा व झालावाड़ की सीमा पर बहती हुई गागरोन (झालावाड़) के पास कालीसिंध नदी में मिल जाती हैं | यहां पर प्रसिद्ध जलदुर्ग भी इसी संगम पर बना हुआ है |
साबरमती नदी
साबरमती नदी को प्राचीन काल में “वाकल” नदी के नाम से जाना जाता था | साबरमती नदी दक्षिण-पश्चिम उदयपुर के क्षेत्रों से निकलकर सिरोही जिले में प्रवाहित होकर गुजरात में प्रवेश करती हैं | यह नदी उदयपुर की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात के खम्बात की खाड़ी में जाकर गिरती है |
बाह्यणी नदी
ब्राह्मणी नदी को “बापण़ी” नदी भी कहते हैं | ब्राह्मणी नदी का उद्गम स्थल चित्तौड़गढ़ है | ब्राह्मणी नदी चित्तौड़गढ़ जिले के हरिपुर गांव से निकलकर भैस रोड गढ़ क्षेत्र में चंबल नदी में प्रवाहित होती है |
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माही नदी
माही नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश है | मध्य प्रदेश की मऊ की पहाड़ियों से होकर राजस्थान में बांसवाड़ा जिले में प्रवेश करके डूंगरपुर, बांसवाड़ा जिले की सीमा से होती हुई गुजरात में प्रवेश करती है |
यह नदी मध्य प्रदेश की महू की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात में खम्बात की खाड़ी में गिर जाती है | माही नदी पर बांसवाड़ा में माही बजाज सागर बांध का निर्माण कराया गया है | माही नदी की प्रमुख सहायक नदियां- जाखम, अनास, चाप, सोम और मोरेन है|
परवन नदी
परवन नदी मध्यप्रदेश के विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलती हैं | परवन नदी राजस्थान में झालावाड़ के मनोहर थाना में प्रवेश करती है | यह नदी घोड़ा पछाड़ की संयुक्त धारा है, जो बांरा, झालावाड़ में बहती हुई कालीसिंध नदी में मिल जाती हैं
कातली नदी
काटली नदी का उद्गम स्थल शिखर है, क्योंकि यह नदी सीकर जिले के खंडेला की पहाड़ियों से होकर निकलती है | शिखर की पहाड़ियों से निकलने के बाद लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक यह नदी बहती है | काटली नदी शिखर की पहाड़ियों से निकलने से 100 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद रेतीली भूमि में समाप्त हो जाती है |
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साबी नदी
साबी नदी का उद्गम स्थल जयपुर है | साबी नदी जयपुर में सेवर की पहाड़ियों से निकलकर हरियाणा में चली जाती हैं | साबी नदी जयपुर में सेवर की पहाड़ियों से निकलने के बाद बहरोड, बानासूर, मंण्डावर, किशनगढ़ इत्यादि क्षेत्रों से बहती हुई हरियाणा में जाने के बाद समाप्त हो जाती है |
काकानी नदी
काकानी नदी को “काकनेय” नदी भी कहा जाता है | काकानी नदी का उद्गम स्थल जैसलमेर है | यह नदी जैसलमेर से निकलने के बाद थोड़ी ही देर में रेगिस्तान में विलुप्त हो जाती है | काकानी नदी जैसलमेर के दक्षिण में स्थित कोटरी गांव से होकर निकलती है, जो कुछ किलोमीटर तक प्रवाहित होने के बाद रेगिस्तानी क्षेत्रों में विलुप्त हो जाती हैं |
मेज नदी
मेज नदी का उद्गम स्थल भीलवाड़ा जिला है | मेज नदी भीलवाड़ा जिले से निकलकर बूंदी में लाखेरी के निकट चंबल नदी में जाकर मिल जाती है |
बाणगंगा नदी
बाणगंगा नदी का उद्गम स्थल जयपुर है | जयपुर की विराट पहाडि से बाणगंगा नदी निकलती है | बाणगंगा नदी विराट की पहाड़ियों से निकालकर सवाई माधोपुर जिले से होती हुई भरतपुर जिले में प्रवाहित होती है | बाणगंगा नदी किसी भी नदी में मिलती नहीं बल्कि भरतपुर जिले के बाड़ी क्षेत्र में इसका जल फैल जाता है |
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घग्घर नदी
घग्गर नदी को प्राचीन “सरस्वती नदी” का अवशेष माना जाता है | घग्गर नदी हरियाणा से निकलने के बाद राजस्थान होते हुए पाकिस्तान में चली जाती है | घग्गर नदी वर्षा काल में बहती है | घग्गर नदी को “मू्र्त नदी” भी कहा जाता है, क्योंकि यह नदी वर्षा ऋतु के समय ही चलती है |
वर्तमान समय में इस नदी को मात्र नाली ही कहते हैं क्योंकि यह नदी सिर्फ वर्षा ऋतु में ही बहती है | घग्गर नदी हरियाणा से निकलने के बाद हनुमानगढ़, गंगानगर, अनूपगढ़, सूरतगढ़ इत्यादि राजस्थानी इलाकों से होती हुई पाकिस्तान में चली जाती है |
अंतिम शब्द
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राजस्थान में बहने वाली सभी नदियों की पूरी जानकारी हमने इस आलेख में आपको विस्तार से बताई हैं | तो उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा | इस आलेख को आप अपने मित्रों के साथ सोशल मीडिया के जरिए शेयर जरूर करें |